17 साल की उम्र में, मुमताज अपनी बहन मलिका के साथ फिल्म ‘ब्रह्मचारी’ के सेट पर शम्मी कपूर से पहली बार मिली थीं। मलिका फिल्म में काम कर रही थीं, और मुमताज उनसे मिलने गई थीं। शम्मी कपूर उस समय 34 साल के थे, और मुमताज उनकी खूबसूरती और करिश्मे से तुरंत प्रभावित हो गईं।
शुरुआत में, शम्मी कपूर ने मुमताज को ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन धीरे-धीरे, उन्हें मुमताज की मासूमियत और चंचलता पसंद आने लगी। दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ने लगा।
शादी का प्रस्ताव:
1965 में शम्मी कपूर, जोकि अपनी पत्नी गीता बाली के निधन के बाद अकेले थे, ने मुमताज को शादी के लिए प्रस्ताव दिया। मगर, उनके प्रस्ताव के साथ एक बड़ी शर्त भी जुड़ी थी – शादी के बाद मुमताज को फिल्मों में काम करना छोड़ना होगा।
मुमताज के लिए ये फैसला बेहद मुश्किल था। उस वक्त वो बॉलीवुड की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक थीं और उन्होंने अपना करियर छोड़ना नहीं चाहा। भारी मन से उन्हें शम्मी कपूर का प्रस्ताव ठुकराना पड़ा।
शादी न हो पाने के बावजूद, शम्मी कपूर और मुमताज की दोस्ती बरकरार रही। उन्होंने “जंगली,” “खुशबू,” और “आंखें” जैसी फिल्मों में साथ काम किया, जहां पर्दे पर उनकी केमिस्ट्री दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थी।
पर्दे के पीछे भी साथ:
पर्दे पर उनकी चुलबुली नोकझोंक और जीवंत ऊर्जा दर्शकों को खूब लुभाती थी। लेकिन पर्दे के पीछे भी उनका रिश्ता गहरा था। वो एक-दूसरे के भरोसेमंद साथी थे, हमेशा सहारा और समझ देते थे।
प्यार का नया रूप:
अपने अधूरे प्रेम के बावजूद, शम्मी कपूर और मुमताज की कहानी ऐसे गहरे रिश्ते की मिसाल है जो सामाजिक मानदंडों को तोड़ देता है। उन्होंने प्यार की परिभाषा को फिर से परिभाषित किया, यह साबित करते हुए कि सम्मान, दोस्ती और साझा जुनून शादी से परे भी मौजूद हो सकते हैं।
अधूरी ही सही, उनकी प्रेम कहानी आज भी दर्शकों को अपनी ओर खींचती है। यह कहानी रिश्तों की ताकत, सपनों को追ने की जटिलताओं और सच्ची दोस्ती की मजबूती का प्रमाण है। सिनेमाई इतिहास में उनका सफर इस बात की याद दिलाता है कि प्यार अपने विभिन्न रूपों में हमारे जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ सकता है।