दुनिया के ज्यादातर अजीबो-गरीब काम चीन में होते हैं. शायद इसलिए दुनिया का सबसे मुश्किल एग्जाम भी चीन में ही होता है. इस एग्जाम का नाम है- गाओकाओ (Gaokao Exam). इस परीक्षा की तैयारी करना जंग की तैयारी करने के बराबर है, क्योंकि प्री-नर्सरी से ही बच्चे पर ये एग्जाम पास करने का दबाव होता है. पेरेंट्स जन्म से ही बच्चे को गाओकाओ एग्जाम पास कराने की तैयारी कराने लगते हैं.
चीन में पहला गाओकाओ एग्जाम 15 से 17 अगस्त 1952 को आयोजित किया गया था. यहां हर छात्र के जीवन का मकसद गाओकाओ परीक्षा पास करना होता है. आमतौर पर एक छात्र इस परीक्षा के लिए हर दिन 12 से 13 घंटे पढ़ता है. पहले स्कूल, फिर प्राइवेट कोचिंग.
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2023 में रिकॉर्ड 12.91 मिलियन (1.29 करोड़) छात्रों ने इस परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. 2022 में 92.9 फीसदी गाओकाओ उम्मीदवारों को कॉलेजों में एडमिशन दिया गया था.
आखिर क्यों है ये दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा?
चीनी छात्रों के कैरियर के लिए गाओकाओ एग्जाम बहुत अहम हिस्सा है क्योंकि स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद हर छात्र के लिए किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए गाओकाओ एग्जाम पास करना अनिवार्य होता है. नौकरी हासिल करने के लिए छात्र को पहले डिप्लोमा, ग्रेजुएशन या मास्टर डिग्री हासिल करना होता है. जो छात्र इस परीक्षा में फेल होते है उसे असफल माना जाता है.
गाओकाओ एग्जाम के दौरान चीटिंग करते पकड़े जाने पर छात्र गंभीर मुसीबत में पड़ सकता है, जिसमें उसका पेपर रद्द किए जाने से लेकर कानूनी सजा तक हो सकती है.
परीक्षा के वक्त कैसा होता है माहौल?
चीन में हर साल 7, 8, 9 जून के आसपास गाओकाओ परीक्षा का आयोजन किया जाता है. परीक्षा को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए चीनी सरकार कड़े इंतजाम करती है. एग्जाम के वक्त पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाता है.
एग्जाम सेंटर के आसपास इलाकों की घेराबंदी कर दी जाती है, आसपास मौजूद बिल्डिंग खाली करा ली जाती हैं. सड़क पर किसी को भी हॉर्न बजाने की अनुमति नहीं होती है ताकि परीक्षार्थियों का ध्यान न भटकें. आसमान में ड्रोन मंडरा रहे होते हैं.
बच्चों को एग्जाम सेंटर तक ले जाने के लिए सरकार की ओर से स्पेशल बसें चलाई जाती हैं. सीसीटीवी कैमरे से कड़ी निगरानी रखी जाती है.
यही नहीं सभी अपने बच्चों की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहे होते हैं. इन दिनों ज्यातर लोग चीन की पारंपरिक पोशाक पहने सड़कों पर नजर आते हैं. सोशल मीडिया पर हर कोई ‘गाओकाओ’ पर चर्चा कर रहा होता है।
एग्जाम सेंटर के बाहर पेरेंट्स तपती धूप में घंटों तक इंतजार करते दिखते हैं. कुछ लोग सेंटर के पास होटल भी बुक कर लेते हैं. इन्हीं सब वजह से गाओकाओ को दुनिया का सबसे कठिन एग्जाम माना जाता है.
कौन-कौन से सब्जेक्ट होते हैं शामिल?
गाओकाओ एग्जाम में कुल 6 सब्जेक्ट (3+3) होते हैं. तीन सब्जेक्ट सभी के लिए अनिवार्य होते हैं और तीन सब्जेक्ट (इतिहास, राजनीति, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और भूगोल में से कोई) छात्र अपने आगे के करियर के मुताबिक चुन सकते हैं.
तीन अनिवार्य सब्जेक्ट होते हैं- गणित, चीनी लैंग्वेज और एक विदेशी लैंग्वेज. ये एग्जाम कुल 9 घंटे का होता है, जिसे दो या तीन दिन में दिया जाता है.
गाओकाओ एग्जाम में फेल हो गए तो क्या होगा?
गाओकाओ एग्जाम में फेल होने का कोई भी ऑप्शन नहीं होता है यानी कोई भी छात्र फेल नहीं होता है. परीक्षा देने के बाद हर छात्र का एक स्कोर आता है और कॉलेज-यूनिवर्सिटी इसी स्कोर के आधार पर छात्रों को एडमिशन देते हैं.
चीन के टॉप कॉलेजों में एडमिशन के लिए 0.25 फीसदीसे भी कम छात्र निर्धारित स्कोर हासिल कर पाते हैं. अगर किसी छात्र का स्कोर खराब या काफी कम आता है तो वह दोबारा एग्जाम दे सकता है.
गाओकाओ की कोई आधिकारिक आयु सीमा तय नहीं है. छात्र कितनी भी बार ये एग्जाम दे सकते हैं. साल 2014 में एक दादाजी 14वीं बार गाओकाओ एग्जाम देने के लिए वायरल हो गए थे. सिचुआन में 49 साल एक शख्स ने सुर्खियां बटोरीं थी कि वह अपने सपनों के कॉलेज में एडमिशन पाने के लिए 20वीं बार एग्जाम दे रहा है.
कई लोग गाओकाओ एग्जाम तब तक बार-बार देते रहते हैं, जब तक उन्हें अच्छा स्कोर नहीं मिल जाता. हालांकि कुछ कॉलेज ऐसे भी होते हैं जो कितना भी खराब स्कोर होने पर एडमिशन दे देते हैं. यही नहीं छात्र गाओकाओ स्कोर के आधार पर किसी यूरोपीय या अमेरिकी कॉलेज में भी आवेदन कर सकते हैं. कई अमीर परिवार अपने बच्चे को अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान या ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी देशों में भेज देते हैं.
क्या भारतीय गाओकाओ की परीक्षा दे सकता है?
अगर कोई भारतीय किसी चीनी कॉलेज में एडमिशन लेना चाहता है तो क्या उसे भी गाओकाओ एग्जाम देना होगा? क्या चीनी यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों के एडमिशन के लिए गाओकाओ की आवश्यकता है?
जवाब है नहीं. ऐसी कोई नियम है कि चीनी कॉलेज में एडमिशन के लिए किसी भारतीय या विदेश छात्र को गाओकाओ देना अनिवार्य है. लेकिन चीनी छात्रों को वहां की यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए ये एग्जाम देना अनिवार्य है. अंतर्राष्ट्रीय छात्र यह परीक्षा नहीं देते हैं.
गाओकाओ के बाद दुनिया का दूसरा सबसे कठिन एग्माज
भारत की आईआईटी जेईई (IIT JEE) परीक्षा भी दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शुमार है. ये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में इंजीनियरिंग कोर्स के लिए एंट्री एग्जाम है. इस एग्जाम के लिए दो साल तक लगातार तैयारी करनी होती है. हर साल करीब एक लाख उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होते हैं जिसमें एक फीसदी ही सफलता हासिल करते हैं.
यही नहीं तीसरे नंबर पर भारत के संघ लोक सेवा आयोग (UPSC Exam) की सिविल सर्विस परीक्षा को रखा गया है. Erudera के मुताबिक, हर साल करीब 5 लाख उम्मीदवार 1 हजार से कम सीटों के लिए यूपीएससी का एग्जाम देते हैं.
इस एग्जाम में पासिंग रेट 0.1 से 0.3 फीसदी के बीच है. दुनिया के सबसे कठिन परीक्षाओं की लिस्ट में 8वें नंबर पर भारत के गेट एग्जाम को रखा गया है. इस एग्जाम में हर साल करीब सात लाख छात्र बैठते हैं जिसका पासिंग रेट 17 फीसदी रहता है. दुनिया के दस सबसे कठिन एग्जाम में अमेरिका के पांच, भारत के तीन, चीन और इंग्लैंड की 1-1 परीक्षाएं शामिल हैं.