भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर विवादों के बाद भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए WFI को निलंबित कर दिया है। WFI के चुनावों में देरी और महिला पहलवानों पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच खेल मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। WFI के चुनावों को लेकर कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। चुनावों की तारीखों को लेकर कई बार बदलाव किए गए थे। अंततः, WFI के चुनाव 12 अगस्त 2023 को हुए थे।
इन चुनावों में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को अध्यक्ष चुना गया था। हालांकि, चुनावों में कई तरह की अनियमितताओं के आरोप लगे थे।
इसके अलावा, महिला पहलवानों ने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद WFI पर काफी दबाव था।
खेल मंत्रालय ने WFI के निलंबन के आदेश में कहा है कि WFI ने पिछले कुछ वर्षों में कई नियमों का उल्लंघन किया है। WFI के चुनावों में अनियमितताएं हुई हैं। इसके अलावा, महिला पहलवानों पर यौन उत्पीड़न के आरोपों ने भी WFI की छवि को धूमिल किया है।
खेल मंत्रालय ने WFI को निलंबित करने के साथ-साथ एक एड-हॉक कमेटी का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता भूपेंदर सिंह बाजवा करेंगे। समिति का कार्य WFI के चुनावों का आयोजन करना होगा।
WFI के निलंबन से भारतीय कुश्ती में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह देखना बाकी है कि WFI के चुनाव कब होंगे और नए अध्यक्ष कौन होंगे।
बजरंग ने कहा- यह सही निर्णय
कुश्ती संघ को निलंबित किए जाने के बाद आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अनुभवी पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा, ”यह सही निर्णय लिया गया है। जो हमारी बहन-बेटियों के साथ अत्याचार हो रहा है उसके खिलाफ संबंधित लोगों को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। हमारे ऊपर कई इल्जाम लगाए गए। राजनीति की गई। जब हम पदक जीतते हैं तो देश के होते हैं। हम खिलाड़ी कभी भी जात-पात नहीं देखते। एक साथ एक थाली में खाते हैं। हम अपने तिरंगे के लिए खून-पसीना बहाते हैं। सैनिकों और खिलाड़ियों से ज्यादा मेहनत कोई नहीं करता। हमें देशद्रोही कहा गया। हम ऐसे नहीं हैं। हमें पुरस्कार जीतने पर मिला। हम उसे वापस ले सकते हैं। हम सम्मान वापस ग्रहण कर सकते हैं।”