जमुई (बिहार), 04 जनवरी 2024: बिहार के जमुई जिले में स्थित सिकंदरा झील में रूस और यूरोप के पक्षियों का जमावड़ा लग रहा है। इन पक्षियों में रोजी स्टर्लिंग, उत्तरी लैपविन, व्हाइट-विंग्ड टर्न, बार हेडेड गूज, ग्रेलैंड गूज, नॉर्दर्न पिनटेल, मलाड, नार्दर्न साल्वर आदि शामिल हैं।
इन पक्षियों का बिहार में आना पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठाए गए कदमों को कारगर साबित कर रहा है। बिहार सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें वनों की कटाई पर रोक लगाना, संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करना, और प्रदूषण को कम करना शामिल हैं।
सिकंदरा झील बिहार का एक महत्वपूर्ण पक्षी विहार है। यह झील बिहार के जमुई जिले में स्थित है। यह झील अपने प्राकृतिक सौंदर्य और पक्षियों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
सिकंदरा झील में आने वाले पक्षियों में से कुछ दुर्लभ भी हैं। इनमें रोजी स्टर्लिंग और इंडियन स्किमर शामिल हैं। रोजी स्टर्लिंग एक छोटा सा पक्षी है जो रूस और यूरोप में पाया जाता है। यह पक्षी सर्दियों के मौसम में भारत में आकर प्रजनन करता है।
इंडियन स्किमर भी एक दुर्लभ पक्षी है जो भारत में केवल कुछ ही स्थानों पर पाया जाता है। यह पक्षी पानी के किनारे पर अपना घोंसला बनाता है और मछलियों को अपना भोजन बनाता है।
सिकंदरा झील में पक्षियों की बढ़ती संख्या पर्यावरणविदों को काफी खुशी दे रही है। वे मानते हैं कि यह बिहार में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को सफलता की ओर ले जा रहा है।
सिकंदरा झील में पक्षियों की बढ़ती संख्या के लिए जिम्मेदार कारक
सिकंदरा झील में पक्षियों की बढ़ती संख्या के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें से कुछ कारक निम्नलिखित हैं:
- बिहार सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम
- सिकंदरा झील में पानी की उपलब्धता
- सिकंदरा झील में भोजन की उपलब्धता
- सिकंदरा झील में प्रदूषण की कमी
सिकंदरा झील के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम
सिकंदरा झील बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण संपदा है। इसके संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं:
- सिकंदरा झील के आसपास वनों की कटाई पर रोक लगाना
- सिकंदरा झील में जल प्रदूषण को कम करना
- सिकंदरा झील में शिकार पर रोक लगाना
- सिकंदरा झील के आसपास रहने वाले लोगों को पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक करना