भारत का चंद्रयान-3 चांद पर सफलतापू्र्वक लैंड कर चुका है। इसरो द्वारा चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत पूरी दुनिया में चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है, लेकिन पृथ्वी से चांद तक का सफर काफी कठिन रहा है। इस मिशन से भारत के साथ ही दुनिया के कई देशों को फायदा होगा।
दुनियाभर में चांद पर पहुंचने की होड़ लगी हुई है। अगर भारत का यह मिशन सफल हो गया है। अब भारत अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चांद की धरती पर उतरने वाला चौथा देश बन गया है। वैज्ञानिकों के लिए चांद पर रिसर्च करने का एक अलग ही महत्व है। चांद से जुड़े कई रहस्य अब तक रहस्य ही बने हुए हैं, जिनका पता लगना बहुत से देशों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
इस मिशन के सफल होने के लिए देशभर में पूजा-पाठ, हवन, अनुष्ठान हो रहे थे। यहां तक कि कई इस्लामिक सेंटर में लोग नमाज पढ़ कर इस मिशन के सफल होने की दुआ मांग रहे थे।
हालांकि, भारत में चांद का केवल वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिष महत्व भी काफी ज्यादा है। भारत में हिंदू और मुस्लिमों का चांद से जुड़ा धार्मिक महत्व है। यहां तक कि हिंदू धर्म में चांद को सूर्य के समान ही देवता माना जाता है। इसके अलावा, ज्योतिष के नजरिए से चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चांद एक व्यक्ति के मन, भावना और मस्तिष्क पर काफी असर डालता है।
चंद्रमा का धार्मिक महत्व (Religious Importance Of Moon)
हिंदू धर्म में चांद का काफी धार्मिक महत्व है। दरअसल, हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव के मस्तिष्क पर सुसज्जित है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, चांद महर्षि अत्रि और माता अनुसुइया के पुत्र हैं। इसके अलावा, हिंदू धर्म में ऐसे कई त्योहार और व्रत हैं, जो चांद देखकर ही पूरे होते हैं। जैसे कि, करवा चौथ और पूर्णिमा के साथ ही हिंदू धर्म में महिलाएं अपने बच्चों के लिए कुछ व्रत करती हैं, जो चांद देखने के बाद ही पूरा होता है।
मून कैलेंडर से ही तय होते हैं सभी इस्लामिक त्योहार
इस्लाम के सभी त्योहार ‘मून कैलेंडर’ के मुताबिक तय होते हैं। मुस्लिम धर्म में भी ईद के लिए भी चांद का काफी महत्व रहता है। दरअसल, चांद के आकार पर ही उनका त्योहार टिका होता है।
चांद का ज्योतिष महत्व (Astrological Importance Of Moon)
भारत में ज्योतिष शास्त्र में भी चांद का काफी महत्व है। दरअसल, चांद के आधार पर ही किसी व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि चांद का अच्छा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, तो उसको कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। वहीं, यदि कुंडली में चांद की स्थिति में दोष या नकारात्मक प्रभाव दिखता है, तो ऐसे में माना जाता है कि वह शख्स चिड़चिड़ा और विचलित मन का व्यक्ति होगा।
ज्योतिष के मुताबिक, चांद के लिए सोमवार का दिन होता है। ज्योतिष विद्या के मुताबिक, यदि चांद से संबंधित कोई उपाय बताए जाते हैं, तो वह सोमवार या पूर्णिमा के दिन करने से परेशानियों से निजात मिल जाता है। पंचांग और राशिफल की गणना भी चंद्रमा की सहायता होती है।
चांद को क्यों कहते हैं चंदा मामा?
देशभर में शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जिसमें चांद को चंदा मामा न कहते हो। दरअसल, हर एक बच्चा चांद को अपनी शुरूआती समय में चंदा मामा के नाम से ही जानते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर चांद को मामा ही क्यों कहते हैं, चाचा, नाना क्यों नहीं कहते।
इसके पीछे भी मान्यता है। दरअसल धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के समय समुद्र से बहुत सारे तत्व निकले थे, जिसमें मां लक्ष्मी और चंद्रमा भी थे। हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को मां माना जाता है, इसलिए चांद को चंदा मामा कहा जाने लगा।
वहीं, एक दूसरा कारण यह भी माना जाता है कि हम धरती को अपनी मां मानते हैं। ऐसे में चांद हमेशा धरती के इर्द-गिर्द चक्कर लगाता है और इसके साथ रहता है। धरती के साथ रहने के कारण चांद को चंदा मामा कहा जाता है।