देश में कई कंपनियां एनसीएलटी और डीआरटी में फंसी हुई हैं। इन कंपनियों के बैंकों को बहुत सारा पैसा देना है। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से लोगों को पैसे वापस मिल सकते हैं।
अनिल अंबानी, वेणुगोपाल धूत, एस्सार ग्रुप के रुइया बंधुओं, और भूषण स्टील के भूषण परिवार जैसे व्यापारी कर्ज में फंसे हैं। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के फैसले से उनको पर्सनल गारंटर्स से मदद मिलेगी। IBBI के चेयरमैन ने बैंकों को बताया कि इससे उन्हें राहत मिलेगी। फैसले के बाद, बैंकों को मामलों का तेजी से निपटारा करने में मदद मिलेगी।
अनिल अंबानी, वेणुगोपाल धूत, एस्सार समूह के रुइया बंधु और भूषण स्टील के भूषण परिवार जैसे व्यापारी कई ऋणों से जुड़े हैं। डिसंबर तक लगभग 2,500 दिवालिया आवेदन थे, जो 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण से जुड़े थे। 87 आवेदनों को पहले ही रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल द्वारा खारिज कर दिया गया है या उनकी नियुक्ति वापस ली गई है। 1,096 मामलों में आरपी नियुक्त किए गए हैं, और 296 मामलों को NCLT में स्वीकार किया गया है। लेकिन केवल 21 मामलों में रिपेमेंट प्लान को मंजूरी मिली है, जिससे केवल 91 करोड़ रुपये की राशि वसूली गई है।
कितनी हुई वसूली
आईबीबीआई(IBBI) के आंकड़ों के मुताबिक, क्रेडिटर्स एनसीएलटी के दावों का सिर्फ 32 फीसदी ही वसूल कर पाए हैं। कई मामले 724 दिनों से लंबित हैं जो 270 दिन की डेडलाइन से करीब 2.7 गुना ज़्यादा है। अध्यक्ष ने बताया कि बहुत ज्यादा मामलेबाजी से मामलों में देरी हो रही है। इससे कंपनी की मूल्य में कमी होती है और गारंटरों पर बोझ बढ़ता है। इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि बैंकरप्सी प्रक्रिया के दौरान, पर्सनल गारंटर को पहले ही लागू किया जाना चाहिए। वे कहते हैं कि कर्जदारों को बैंकरप्सी की प्रक्रिया से गुजरने की बजाय, वे अपने कर्ज का प्लान सम्पादित करके भुगतान करें।
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